सर्जिओ लिओनी बहुत प्रतिभाशाली इतालवी
फ़िल्मकार माने जाते हैं, जो साठ के दशक में अमरीकी पृष्ठभूमि पर क्लिन्ट ईस्टवुड के साथ बनाई गई अपनी कुछ
फिल्मों से बहुत लोकप्रिय
हुए। उससे पहले अमरीकी
वेस्टर्न फिल्में बहुत हिट हो चुकी थीं और उन्हीं की तर्ज़ पर लिओनी की फिल्मों को स्पेगेट्टी वेस्टर्न
(या ज़पाटा
वेस्टर्न) कहा गया और उनकी फिल्में भी पिछली वेस्टर्न फिल्मों की तरह विशाल अमरीकी
भूक्षेत्र पर अमरीकी श्रेष्ठता की स्थापना की कथा ही कहती हैं, जिनमें स्थानीय
लोगों को मूर्ख, पिछड़ा और क्रूर दिखाया जाता है, उनका मज़ाक बनाया जाता
है और दूसरी तरफ
अमरीकी मुख्य भूमि से
आए ‘हीरो’ को उनका मुक्तिदाता, मसीहा। उस समय जब यूरोप में युद्ध, कला और विभिन्न सामाजिक मूल्यों को लेकर एक से एक बेहतरीन फिल्में बनाई
जा रही थीं तब लिओनी यूरोप
छोड़कर पूरी तरह अमरीकी
फिल्में क्यों बनाने लगे होंगे यह कहना मुश्किल तो है लेकिन मुझे लगता है बॉक्स ऑफिस उन्हें वहाँ
खींच ले गया होगा। इसमें कोई शक नहीं कि उन्होंने अपना एक अलग स्टाइल और ट्रेंड अर्जित किया और इस लिहाज से वे प्रशंसा के
हकदार हैं। लेकिन ‘वंस अपॉन ए टाइम इन द वेस्ट’ को छोड़कर कोई भी फिल्म मुझे बहुत प्रभावित नहीं करती।
'वंस अपॉन ए टाइम...द रिवोल्युशन' सर्गेई लिओनी की अंतिम 'वेस्टर्न' फ़िल्म मानी जाती है। कहा जाता है कि कई कारणों से इसके प्रदर्शन पर विवाद
होता रहा और उसे कई बार नाम तक बदलने पड़े! एक समय था जब क्रान्ति शब्द से ही
अमरीकी नफरत करते थे और इस फ़िल्म के पहले दृश्य में ही माओ भी हैं, लिहाजा अमरीका में उसे 'डक, यू
सकर!' (duck, you sucker!) नाम से प्रदर्शित करना पड़ा। यह
नाम थोड़ा रफ-टफ और कूल था मगर यह फ़िल्म उतना नहीं चल पाई, न
अमरीका में, न ही और कहीं। इस फिल्म का एक और नाम था ‘फिस्टफुल ऑफ
डाइनामाइट’।
कामरेड रुद्र ने मुझे यह फिल्म
देखने की सलाह दी थी। कहने को यह फिल्म बीसवीं सदी की शुरुआत में मेक्सिको में जारी क्रांतियों के बारे में है मगर
सिवा नाम में रिवोल्यूशन शब्द के और पहली फ्रेम में माओ की एक उक्ति के इसमें
क्रान्ति का कहीं कोई आभास तक नहीं है। यह फिल्म दो लुटेरों की कथा है: एक तो स्थानीय
मेक्सिकन है और दूसरा आईआरए का भगोड़ा एक आइरिश है। इन क्रांतियों में किसी तरह के
जन आंदोलन का चित्रण
नहीं है और हालांकि
कहानी में सत्ताधारी एक तानशाह है मगर फिल्म में यह लगभग दो गुटों की लड़ाई जैसी
लगती है। दोनों नायक भी अपने-अपने भाग्य या
दुर्भाग्य से इत्तफाकन इन ‘क्रांतिकारियों’ से जुड़ जाते हैं, इत्तफाकन ही क्रान्ति के हीरो भी बन जाते हैं लेकिन अंततः इनका मकसद भी किसी तरह लैंड ऑफ ड्रीम्स, अमरीका पलायन का
ही होता है, विशेषकर मेक्सिकन
डकैत का, जो रास्ते
में आइरिश साथी के मारे जाने पर हताश होकर कहता है, वॉट अबाउट मी, अब मेरा क्या
होगा? और फिल्म का टाइटल
दिखाया जाता है ‘डक, यू सकर!’ अपने आपको बचा,
मूर्ख!
खैर, लिओनी की दूसरी
फिल्मों की तरह यह फिल्म भी बहुत रोचक, पैसा वसूल
फिल्म है लेकिन इसे भी मैं अमरीकी श्रेष्ठता को स्थापित करने के
वैश्विक प्रोजेक्ट के एक हिस्से रूप में देखता हूँ, जो द्वितीय
विश्वयुद्ध के बाद शुरू हुआ और आज भी
जारी है।
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