Sunday, August 28, 2016

पवन करण की कविता

भाई
मेरे भाई की नाक एवरेस्ट से ऊंची
चांद से भी अधिक चमकीली
किसी से प्यार करूंगी तो कट जायेगी
अपनी कटी हुई नाक के साथ
मेरा भाई कैसे जियेगा
वह तो मर जायेगा जीते जी
उसकी आंख दूरबीन से तेज
निशाना गुलेल सा सटीक
मैं घने झुरमुट में भी किसी से मिलूंगी
वह देख लेगा, वह वहीं से
खीचकर मारेगा पत्थर
जो ठीक माथे पर लगेगा मेरे
उसके लगते ही
मेरे भाई का माथा हो जायेगा ऊंचा
कोई हाथ, हाथ में लेकर चलूंगी
गुस्से में उसके हाथ मेरी
और उसकी गर्दन मरोड़ देंगे
फैक देंगे किसी नाले में जाकर
कई दिन तक वह अपने
हाथ नहीं धोयेगा, दिखायेगा सबूत
खाप उसके हाथों को चूमेगी
जहां तक घूम सकता वह
घूमेगा छाती फुलाकर अपनी
कलदार सा खनकदार भाई का नाम
मगर वह कब तक काम आयेगा मेरे
प्रेम तो फिर भी रहेगा साथ
प्रेम के बिना मैं कैसे जियुंगी
प्रेम करूंगी तो जाउंगी मारी
पवन करण

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