Sunday, August 28, 2016

उधार का गर्व

महान हिन्दुत्व का 1000 साल का इतिहास युद्ध में हार का और विजेता की नकल का इतिहास रहा है और आज भी इन्हें चैन नहीं है, बेशर्म, उसी राह पर चले जा रहे हैं। इतिहास और वर्तमान से कुछ उदाहरण पेश हैं।
1) भारत में पर्दा-प्रथा कभी नहीं रही। मुसलमानों की नकल पर हिंदुओं ने न सिर्फ औरतों को घर की चारदीवारी में बंद कर दिया बल्कि घूँघट, (तथाकथित) शर्म इत्यादि रिवाजों के द्वारा मुसलमानों के मूर्खतापूर्ण विचारों की नकल करके उनकी तरह खुद भी गौरवान्वित होते रहे।
2) हिंदुओं में कोई ऐसा धर्मग्रंथ नहीं था जिसे पवित्र, अंतिम माना जाए। इतना खुलापन था कि नए विचारों, नई किताबों के लिए जगह थी। कोई किसी को पवित्र मानता था तो कोई किसी दूसरी किताब को। मुसलमानों के प्रभाव में उन्हें भी एक किताब की ज़रूरत पड़ी तो कभी वेदों को तो कभी गीता को हिंदुओं की किताब बताया जाने लगा। गीता पर हाथ रखकर कसमें खिलवाई जाने लगीं जबकि गीता का अर्थ हिंदुओं के लिए वह नहीं है जो मुसलमानों के लिए कुरान का है।
3) जो भारत में पैदा हुआ वही हिन्दू है, ऐसी हिंदुओं की मूल मान्यता है इसलिए न तो कोई इस धर्म को छोड़ सकता है और न कोई दूसरा धर्म बदलकर हिन्दू हो सकता है। इसलिए हिंदुओं में धर्मांतरण की कोई संभावना नहीं है। इस्लाम में उनका धर्म अपना तो सकते हैं, छोड़ नहीं सकते। उनकी नकल पर अब तथाकथित 'घरवापसी' की जा रही है जो असफल होकर रहेगी। हिंदुओं के लिए बेहतर स्ट्रेटेजी यह हो सकती है कि वे मुसलमानों को भी हिन्दू ही मानें लेकिन कट्टरवादियों को मुसलमानों की नकल करके उसी पर गौरवान्वित होना है अतः संभव नहीं लगता।
4) इस्लाम आक्रामक धर्म है और हिन्दू धर्म हर तरह के धर्मों को खुद में समाहित करने वाला धर्म है। अगर इस्लाम तलवार है तो हिन्दू धर्म (वर्तमान अर्थों में हिन्दुत्व नहीं) दलदल है। आज वह इस्लाम की कट्टरता की नकल करना चाहता है अर्थात एक तरह से दूसरों के शस्त्रों से युद्ध करना चाहता है, जिसमें उनकी हार निश्चित है। देख ही रहे हैं।
(नोट: अपन को कोई फर्क नहीं पड़ता, भारत में हिन्दुत्व रहे या इस्लामियत, भाड़ में जाएँ दोनों। हाँ, हम जानते हैं कि यहाँ हिंदुस्तानियों को कोई नहीं मिटा सकता।)

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