Sunday, September 4, 2016

ईश्वर को कौन मानता है?

मुझे नहीं लगता कि इक्कीसवीं सदी में कोई भी ईश्वर को मानता हो या उसके अस्तित्व पर संदेह न करता हो। विशेष रूप से ईश्वर का ज़ोर-शोर से प्रचार करने वाले, उसकी महानता का बखान करने वाले और धर्म के ठेकेदार यानी हिंदुओं की उच्च जाति के लोग और बाकी मुल्ला-मौलवी, पादरी आदि तो बिलकुल नहीं मानते।* अपढ़, गरीब और कमजोर लोगों का येन केन प्रकारेण दमन और शोषण करने के लिए वे ईश्वर का हवाला देते हैं, उसकी महिमा गाते रहते हैं। हाँ, धर्म को सब या अधिकांश लोग मानते हैं, पंडित, मुल्ला, पादरी और गरीब-गुरबा, दलित इत्यादि सभी। यह अजीबोगरीब लग सकता है लेकिन इसमें मुझे कोई अचरज नहीं होता। हिन्दू नास्तिकों का अक्सर उन लोगों से पाला पड़ता है जो उनसे हँसी-हँसी में कह जाते हैं, नास्तिक हो तो क्या हुआ, हिन्दू तो हो! इसी तरह जावेद अख्तर ने कई बार घोषणा की है कि वे नास्तिक हैं लेकिन एक भी मुसलमान बता दें जो उन्हें मुसलमान न समझता हो। कहने का अर्थ यह कि आज यह स्थिति तो आ ही गई है कि ईश्वर या अल्लाह को मानना अप्रासंगिक हो गया है। इतना सभी जान गए हैं कि उसे मानने या न मानने से कोई फर्क नहीं पड़ता, वह आपको किसी तरह प्रभावित नहीं करता, न आपका कुछ बिगाड़ता है न आपका कोई काम बनाता है। हाँ, धर्म आपके जीवन को न सिर्फ प्रभावित करता है बल्कि आप देखेंगे कि हर तरह के अंधविश्वासों और हर तरह की रूढ़िवादिता और आदेशों और नियमों के ज़रिए वह न सिर्फ आपका समय और पैसा बरबाद करता है बल्कि समाज में ऊँच-नीच और भेदभाव को मजबूत करके आपसी भाईचारे को भी समाप्त करने का कारण बनता है।
*[ईश्वर के बारे में यह चर्चा आम तौर पर होती रहती है:
‘सब कुछ जानने वाले, सबका भला करने वाले, दयालु ईश्वर को मानते हो तो बीमार पड़ने पर डॉक्टर के पास क्यों जाते हो?’
‘ईश्वर ने हमें अपने कर्म करने का आदेश दिया है इसलिए जाते हैं। ठीक करना या न करना ईश्वर की मर्ज़ी पर निर्भर है।’
असल में उनका ईश्वर पर विश्वास नहीं होता। हाँ, धर्म को मानते हैं इसलिए डॉक्टर के पास जाते हैं। कर्म करने का आदेश तो धर्म ने दिया होता है, ईश्वर आकर उनके कानों में नहीं कहता कि डॉक्टर के पास जाओ? कुछ लोग कहेंगे कि ईश्वर तर्क का विषय नहीं है। यह मैं भी मानता हूँ लेकिन धर्म तो तर्क का विषय है, अन्यथा इतने धर्म नहीं होते, उन पर टीकाएँ नहीं होतीं। मैं ईश्वर पर नहीं धर्म पर अपनी बात कह रहा हूँ।]
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